वेदना
नेपाली साहित्यको आँगन
Tuesday, October 19, 2010
रुबाई :
मन संग मन साटीएपछी
मुटु भित्र मुटु बाटीएपछी ||
कसले के गर्न सक्छर यहाँ?
जीवन नै साट्न आटीएपछी ||
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